
झालावाड़ के पिपलोदी स्कूल दुखांतिका पर ये ‘मौन स्टोरी’ है। घटना के एक दिन बाद जब रिपोर्टर ने मंजर देखा, तो वह मौन रह गया। दर्द देखकर वो निशब्द था। आखिर किससे सवाल करें, उसने भी मुंह पर टेप चिपका ली। बस कैमरे में कैद कर पाए वो दृश्य जहां 7 मासूम बच्चों की जान लापरवाही ने ली। ध्वस्त हुई दीवारों के मलबे में किताबों के पन्ने दबे थे…। आज जिम्मेदारों से कोई सवाल नहीं करेंगे, क्योंकि सवाल तो केवल जिंदा लोगों से किए जा सकते हैं। (वीडियो देखने के लिए ऊपर CLICK करें)