
झांसी शहर के बीचों बीच बने पानी वाली धर्मशाला के तालाब में लाखों मछलियां ऑक्सीजन की कमी के चलते मर गईं। हालांकि, उनकी मौत वाकई ऑक्सीजन की कमी से हुई इसकी किसी ने पुष्टि नहीं की है। तालाब घनी आबादी के बीच होने के चलते यहां मछलियां मरने से दुर्गंध फैल गई है। लोगों ने इसकी जानकारी नगर निगम को दी तो शनिवार देर रात तक यहां से 50 कुंटल मछली निकाली जा चुकी है। बता दें कि झांसी नगर निगम ने कोतवाली इलाके के पंचकुइयां की ढाल पर बने पानी वाली धर्मशाला के नाम से बने तालाब का सौंदर्यीकरण कराया है। महारानी लक्ष्मीबाई के काल का ये तालाब चारो ओर से मंदिरों से घिरा है। ऐसे में यहां तमाम साज-सज्जा भी की गई है। लेकिन इस तालाब में पलीं सैंकड़ों क्विंटल मछलियों के लिए ऑक्सीजन की कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही यहां कई बार लोगों के डूबने से मौत हो जाने के मामले होने पर इसे चारो ओर से ग्रिल लगाकर सुरक्षित कर दिया गया है। ऐसे में तापब के पानी में किसी प्रकार की उथल पुथल भी नहीं होती है। ऐसे में यहां लगातार ऑक्सीजन की कमी होती रही। वहीं, जब झांसी में लगातार बारिश हुई तो यहां का ऑक्सीजन लेबल और नीचे चला गया। इससे यहां मछलियां मरने का सिलसिला शुरू हो गया। शनिवार को स्थानीय लोग जब पानी वाली धर्मशाला तालाब पर बने मंदिर में पूजा करने आए तो यहां पाया कि लाखों की संख्या में यहां मछलियां मरी पड़ी हैं। इसके बाद नगर निगम के कर्मी आए और मछलियों को निकालने का काम शुरू किया लेकिन बारिश के चलते काफी परेशानियां भी होने लगीं। इसके बाद देर शाम को फिर से मरीं मछलियां निकालने का काम शुरू हुआ। अब तक 50 क्विंटल मछलियां निकाली जा चुकी हैं स्थानीय निवासी विकास ने बताया कि सुबह जब हमने यहां पूजा करने के दौरान तालाब की तरफ देखा तो ऐसा लगा कि जैसे तालाब में किसी ने कुछ सफेद थर्मोकोल या कोई दूसरी चीज डाली है, जो सफेद नजर आ रही है। जब पास जाकर देखा तो पता चला कि तालाब की मछलियां मरने के बाद पानी पर उतरने लगी हैं। उन्होंने बताया कि नगर निगम अब तक लगभग 50 क्विंटल मरी हुई मछलियां निकाल चुका है। उन्होंने बताया कि अभी भी तालाब की मछलियां मर रही हैं। लगभग 20 क्विंटल मछलियां अभी भी मरी पड़ी हैं। पिछले साल भी मरी यहीं मरी थीं मछलियां स्थानीय लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि पानी वाली धर्मशाला के नाम से मशहूर तालाब का पानी बिल्कुल शांत रहता है। यहां कई बार युवक डूबकर मार चुके हैं। इसलिए यहां कोई पानी के पास नहीं जाता। बताया कि पिछले साल भी इसी मौसम में मछलियां मरी थीं हालांकि, उस समय इतनी बड़ी संख्या में मछलियां नहीं मरी थीं। कहा कि मछलियां सड़ने से अब इलाके में बदबू फैल रही है।