
रोहतक के गांव खैरेंटी में फ्लाइंग ऑफिसर बनकर पहुंची अंजलि गिल का जोरदार स्वागत किया गया। गांव की पंचायत ने एक कार्यक्रम करके अंजलि को सम्मानित किया। वहीं, अंजलि भी लोगों द्वारा मिले प्यार व अपने बचपन के दिनों को याद करके भावुक हो गई। अंजलि गिल ने बताया कि जिस गांव में उसका जन्म हुआ, आज उसी गांव में एक अफसर बनकर आना, किसी सपने से कम नहीं है। उसे नहीं पता कि इतने प्यार के लायक है या नहीं, लेकिन जो खुशी मिल रही है, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। आज पुराने दिनों को याद करती हूं तो एकाएक यादें ताजा हो जाती हैं। गांव में एक साल पढ़ी, फिर गुरुग्राम से 12वीं पास की
अंजलि गिल ने शुरुआत में पहली कक्षा गांव के ही स्कूल से पास की, लेकिन उसके बाद पिता के साथ गुरुग्राम चली गई। गुरुग्राम के कर्नल सेंट्रल एकेडमी से 12वीं कक्षा पास की और उसके बाद दिल्ली की वेंकटेश्वरा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। इसके बाद सेना में जाने के लिए परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। लेफ्टिनेंट की 3 माह ली ट्रेनिंग
अंजलि गिल ने तीन महीने तक लेफ्टिनेंट की ट्रेनिंग भी ली है। यूपीएससी के माध्यम से अंजलि की सीडीएस में आल इंडिया के अंदर 10वीं रैंक आई थी, जिसके बाद लेफ्टिनेंट बनी थी। उसके बाद यूपीएससी के माध्यम से सीएपीएफ की परीक्षा पास करके असिस्टेंट कमांडेंट पर सिलेक्शन हुआ, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। इसके बाद एफकैट की परीक्षा में ऑल इंडिया में दूसरी रैंक हासिल की और एयरफोर्स को ज्वाइन किया। दादा को याद कर भावुक हुई अंजलि
अंजलि गिल अपने दादा रणधीर गिल को याद करके भावुक होते हुए बोली कि दादा कहा करते थे कि धरती पर आए हो तो कुछ ऐसा करके दिखाओ कि लोग तुम्हें याद रखे। आज अगर दादा साथ होते तो बहुत खुश होते। जब छोटी थी तो गांव के स्कूल में दाखिला लिया था। उस समय पढ़ती नहीं थी, केवल खाना खाने के बाद घर चली जाती थी। एकेडमी की चेयरमैन को देखकर हुई प्रभावित
अंजलि ने बताया कि कर्नल सेंट्रल एकेडमी में जब 9वीं कक्षा में थी तो वहां की चेयरमैन के अनुशासन को देखकर काफी प्रभावित हुई। उनके चरित्र को देखकर ऐसा लगा कि उसे भी आर्मी में ही होना चाहिए। बस उसके बाद तैयारी शुरू कर दी और आज सबके सामने खड़ी हूं। सफलता किसी एक की नहीं होती, पूरे परिवार की होती है
अंजलि ने कहा कि सफलता कभी भी किसी एक इंसान की नहीं होती, बल्कि परिवार के उन सभी लोगों की होती है, जिनके सहयोग से वह आगे बढ़ता है। इसमें उसके माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन, सभी शामिल होते है। पूरा परिवार जब एक इंसान को मोटिवेट करता है, तभी वह आगे बढ़ता है। लड़कियों को लेकर लोगों की बदल रही सोच
अंजलि गिल ने कहा कि लड़कियों को लेकर अब लोगों की सोच बदलने लगी है। पहले लड़कियों को इतना आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता था, लेकिन आज के समय में लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। माता-पिता भी लड़कियों को अब समान अवसर देते हैं, जिससे लड़कियां आज अपनी उड़ान भर रही है। पिता कंपनी में मैनेजर, मां पढ़ाती थी बच्चे
अंजलि गिल के पिता आजाद गिल प्रीमास बायोटेक कंपनी में जनरल मैनेजर है, जबकि मां पूनम स्कूल में बच्चों को पढ़ाया करती थी। वहीं, दो छोटे भाई बहन है, जिनमें हर्षित व अक्षिता शामिल है। परिवार के सभी लोगों का पूरा सहयोग मिला, जिसके कारण वह आगे बढ़ पाई। लोग अक्सर पूछते थे कि बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है
अंजलि ने कहा कि जब भी कोई रिश्तेदार या पड़ोसी घर आता तो अक्सर पूछता था कि बेटा क्या पढ़ रही है। कौन सी परीक्षा की तैयारी कर रही है। पढ़ाई अच्छी है। इस दौरान असफलता भी आएंगी, लेकिन उससे घबराने की जरूरत नहीं है, प्रयास करते रहना। एक दिन भगवान भी सोचेगा कि इसने बहुत मेहनत की है, इसे तो फल देना ही पड़ेगा।