राजस्थान हाईकोर्ट में 7 नए न्यायाधीश आज लेंगे शपथ:जोधपुर मुख्य पीठ में समारोह 9 बजे से, चीफ जस्टिस श्रीराम दिलाएंगे शपथ

राजस्थान हाईकोर्ट के इतिहास में बुधवार, 23 जुलाई का दिन ऐतिहासिक रहेगा, जब जोधपुर मुख्य पीठ में सात नव नियुक्त न्यायाधीश अपने पद की शपथ लेंगे। मुख्य न्यायाधीश श्रीराम के.आर. आज सुबह 9 बजे राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में आयोजित समारोह में इन्हें शपथ दिलाएंगे। इन नवनियुक्त न्यायाधीशों में जस्टिस संदीप तनेजा, जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू, जस्टिस बिपिन गुप्ता, जस्टिस संजीत पुरोहित, जस्टिस रवि चिरानिया, जस्टिस अनुरूप सिंघी और जस्टिस संगीता शर्मा शामिल हैं। नवनियुक्त न्यायाधीशों में जस्टिस तनेजा को स्थायी तथा शेष छह न्यायाधीशों को दो वर्ष की अवधि के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। इन सभी की यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश और केंद्र सरकार की मंजूरी पर संभव हुई। इन नई नियुक्तियों के साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार 43 न्यायाधीश कार्यरत हो रहे हैं, जिससे लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण की नई उम्मीद जगी है। यह प्रदेश न्यायिक प्रक्रिया की गति और न्यायिक सुलभता के लिहाज से एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। समारोह में वरिष्ठता क्रम से शपथग्रहण 1. जस्टिस संदीप तनेजा (स्थायी न्यायाधीश) संदीप तनेजा राजस्थान हाईकोर्ट में सीधे अधिवक्ता कोटे से स्थायी न्यायाधीश बने हैं। जयपुर पीठ में अतिरिक्त महाधिवक्ता रह चुके तनेजा फर्स्ट जनरेशन लॉयर हैं, जिन्होंने करियर की शुरुआत आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए वकालत से की। उनके पास विभिन्न संवैधानिक और सिविल मामलों का करीब दो दशकों का अनुभव है। छात्रों तथा युवा वकीलों के लिए प्रेरणास्रोत माने जाते हैं, और बार काउंसिल व अन्य विधिक मंचों पर सक्रिय भूमिका निभाते आए हैं। 2. जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा) बलजिंदर सिंह संधू का जन्म 6 नवंबर 1977 को हुआ। जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से बी.कॉम एवं एलएलबी की डिग्री ली। वर्ष 2000 में वकालत शुरू की और 23 वर्षों से अधिवक्ता व बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य व उपाध्यक्ष के रूप में विशिष्ट सेवाएं दीं। संधू ने आपराधिक, दीवानी, सेवा, श्रम, वाणिज्यिक व पर्यावरण कानून में विशेषज्ञता पाई है। 2017-2020 तक वे केंद्रीय सरकारी वकील भी रहे और कई सार्वजनिक संस्थाओं के लिए पैनल अधिवक्ता रहे हैं। 3. जस्टिस बिपिन गुप्ता (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा) बिपिन गुप्ता जयपुर के प्रख्यात अधिवक्ता के रूप में पहचाने जाते हैं। वे दीवानी, आपराधिक, सेवा एवं पारिवारिक कानून में गहरी जानकारी रखते हैं। गुप्ता ने हाईकोर्ट तथा अधीनस्थ न्यायालयों में अनेक महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी की है। उनकी साख एक ईमानदार, शोधपरक और कानून की बारीक समझ रखने वाले वकील के रूप में रही है। वे बार काउंसिल और अन्य कानूनी संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी के लिए भी जाने जाते हैं। 4. जस्टिस संजीत पुरोहित (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा) संजीत पुरोहित जोधपुर और पश्चिमी राजस्थान में कानून के क्षेत्र में एक लोकप्रिय नाम हैं। उन्होंने आपराधिक, भूमि-विवाद, बैंकरप्सी और संवैधानिक कानून में उल्लेखनीय कार्य किया है। पुरोहित ने राजस्थान बार काउंसिल एवं जिला बार एसोसिएशन में नेतृत्व किया है, न्यायिक सुधारों में प्रखर आवाज रहे हैं और विधिक साक्षरता अभियानों में भी हिस्सेदारी की है। 5. जस्टिस रवि चिरानिया (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा) रवि चिरानिया जयपुर के सेंट ज़ेवियर स्कूल व राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी करते हुए वकालत में कदम रखा। वे पिछले 24 वर्षों से केंद्रीय सरकार के स्टैंडिंग काउंसल रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, यंग लॉयर्स ग्रुप आदि में सक्रियता के साथ, वे विधिक शोध, प्रशासनिक कानून एवं सेवा विवादों के विशेषज्ञ माने जाते हैं। 6. जस्टिस अनुरूप सिंघी (अतिरिक्त न्यायाधीश, अधिवक्ता कोटा) अनुरूप सिंघी का करियर बहुआयामी है—वे चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी भी हैं। कर, कॉर्पोरेट, कंपनी व व्यापारिक विवादों में उनकी गणना अग्रणी विशेषज्ञों में होती है। जयपुर पीठ के हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव रह चुके हैं। सिविल, वाणिज्यिक व कर कानून में उत्कृष्ट योगदान के कारण उनकी नियुक्ति न्यायपालिका के लिए खास मानी जाती है। 7. जस्टिस संगीता शर्मा (अतिरिक्त न्यायाधीश, न्यायिक सेवा कोटा) संगीता शर्मा अपने बैच की टॉपर और न्यायिक सेवा में विशुद्ध प्रशासनिक कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं। टोंक जिले की मूल निवासी हैं। अजमेर, करौली, मेड़ता सिटी व अलवर (राज.) में जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा अन्य कई जिलों में स्टेट जज सेवाएं दे चुकी हैं। सार्वजनिक रोजगार, अधीनस्थ न्यायपालिका व बाल अधिकार जैसे विषयों पर उन्हें विशेष अनुभव है। बेहतरीन न्यायिक प्रबंधन और संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए उन्हें जाना जाता है।

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