
राजस्थान के झालावाड़ में शुक्रवार (25 जुलाई) को सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का हिस्सा गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई। 21 बच्चे घायल हो गए थे, जिनमें से 9 की हालत अब भी गंभीर है। मनोहरथाना ब्लॉक के पिपलोदी सरकारी स्कूल की क्लास में शुक्रवार सुबह बच्चे बैठे थे, तभी कमरे की छत ढह गई और 35 बच्चे दब गए थे। इस मामले में शिक्षा विभाग ने स्कूल की हेड मास्टर समेत 5 टीचर को सस्पेंड कर दिया था। घटना की जिम्मेदारी के सवाल पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा- जिम्मेदार तो मैं ही हूं। हादसे के बाद मनोहरथाना के बुराड़ी चौराहे पर धरने पर बैठे ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया था। इस दौरान पुलिस की गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई। पहले नरेश मीणा झालावाड़ हॉस्पिटल के बाहर धरने पर बैठे थे। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहुंचने से पहले पुलिस ने नरेश मीणा और उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज कर हिरासत में लिया था। उधर, पिपलोदी (झालावाड़) गांव में मातम पसरा है। आज (शनिवार) को बच्चों के शव गांव लाए जाएंगे। अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही हैं। हादसे में जान गंवाने वाले सभी बच्चों के शव मनोहरथाना हॉस्पिटल में रखवाए गए थे। प्रार्थना के लिए बच्चों को इकट्ठा किया था, गिर गई छत
गांववालों ने बताया- वहां सुबह से बारिश हो रही थी। प्रार्थना का समय हुआ तो सभी क्लास के बच्चों को स्कूल के ग्राउंड में इकट्ठा करने की बजाय कमरे में बैठा दिया, ताकि वे भीगे नहीं। इसके कुछ देर बाद छत गिर गई और 35 बच्चे दब गए। गांववालों ने बताया- इस स्कूल में कुल 7 क्लास रूम है। हादसे के दौरान स्कूल के क्लास रूम में 35 बच्चे थे। स्कूल में 2 टीचर भी मौजूद थे, लेकिन छत गिरने के वक्त बिल्डिंग से बाहर थे, वे सुरक्षित हैं। 3 बड़ी लापरवाहियां, जिसने ले ली 7 बच्चों की जान 1. बच्चों ने कहा-कंकड़ गिर रहे हैं, टीचर्स ने ध्यान नहीं दिया: स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची वर्षा राज क्रांति ने बताया- छत गिरने से पहले कंकड़ गिर रहे थे, बच्चों ने बाहर खड़े टीचर्स को इसकी जानकारी दी, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया और थोड़ी देर बाद ही छत गिर गई। 2. 3 दिन पहले 10 दिन की छुट्टी कैंसिल कर दी गई : स्कूल के कुक व हेल्पर श्रीलाल भील ने बताया- करीब 3 दिन पहले स्कूल की 10 दिन के लिए छुट्टी करने की बात सामने आई थी, लेकिन एक दिन की छुट्टी के बाद स्कूल फिर खोल दिया गया। 3. जर्जर भवन की सूची में नहीं स्कूल का नाम : कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि जो भी जर्जर भवन हो वहां स्कूलों की छुट्टी कर दी जाए, लेकिन खुद कलेक्टर कह रहे हैं कि न तो यह स्कूल जर्जर भवन की सूची में था और न ही यहां बच्चों की छुट्टी की गई। अब देखिए- हादसे से जुड़े PHOTOS…