कजाकिस्तान में पब्लिक प्लेस पर चेहरा ढकने की मनाही:राष्ट्रपति बोले- काले कपड़ों की जगह राष्ट्रीय पहचान वाले कपड़े पहनना बेहतर

कजाकिस्तान ने सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सोमवार को राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव ने एक कानून पर हस्ताक्षर किए। इसमें कहा गया है कि चेहरा ढकने वाले कपड़े, जिनसे किसी की पहचान छिपती है, सार्वजनिक जगहों पर नहीं पहने जा सकते। राष्ट्रपति तोकायेव ने कहा- ‘चेहरा ढकने वाले काले कपड़ों की बजाय हमारे राष्ट्रीय कपड़े पहनना बेहतर है। ये कपड़े हमारी संस्कृति को दर्शाते हैं और इन्हें बढ़ावा देना चाहिए।’ हालांकि, बीमारी, खराब मौसम, खेल, या सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इसकी छूट है। कजाकिस्तान सरकार ने 2023 में स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का कहना है कि स्कूल यूनिफॉर्म के नियम हिजाब पहनने की इजाजत नहीं देते। इस फैसले के खिलाफ 150 लड़कियों ने स्कूल छोड़ दिया था। कजाकिस्तान में करीब 70% लोग इस्लाम धर्म मानते हैं, जबकि ईसाई धर्म दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। सेंट्रल एशिया के कई देशों में चेहरा ढकने पर रोक कजाकिस्तान के अलावा मध्य एशिया के कई देशों ने भी चेहरा ढकने वाले कपड़ों, जैसे नकाब और बुरका, पर रोक लगाई है। ये देश अपनी संस्कृति और सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहते हैं। ताजिकिस्तान: 2024 में ताजिकिस्तान ने हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का कहना था कि यह राष्ट्रीय संस्कृति की रक्षा और कट्टरपंथ को रोकने के लिए है। नियम तोड़ने पर जुर्माना है। किर्गिस्तान: इसी साल किर्गिस्तान ने नकाब पर रोक लगाई है। नियम तोड़ने पर 230 डॉलर (20 हजार रुपए) का जुर्माना है। सरकार का कहना है कि यह सुरक्षा और लोगों की पहचान के लिए जरूरी है। उज्बेकिस्तान: उज्बेकिस्तान में बुरका और नकाब पर रोक है और नियम तोड़ने पर 250 डॉलर (22 हजार रुपए) से ज्यादा जुर्माना है। 2021 में हिजाब की इजाजत दी गई, लेकिन स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में इसे लेकर कुछ सीमाएं हैं। सरकार का कहना है कि यह सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता के लिए है। अफ्रीकी देशों में भी प्रतिबंध कुछ अफ्रीकी देशों में भी चेहरा ढकने वाले कपड़ों पर रोक है… ट्यूनीशिया: 2019 में ट्यूनीशिया ने सरकारी दफ्तरों में नकाब पर रोक लगाई, क्योंकि एक हफ्ते में तीन आत्मघाती बम हमले हुए थे। पहले 2011 तक इस्लामी कपड़ों पर रोक थी, जिसे बाद में हटा लिया गया। अल्जीरिया: 2018 में अल्जीरिया ने नौकरी वाली जगहों पर नकाब पर रोक लगाई, ताकि पहचान आसान हो। हिजाब की इजाजत है, लेकिन नकाब नहीं। मिस्र: 2023 में मिस्र ने स्कूलों में नकाब पर रोक लगाई। हिजाब की इजाजत है, बशर्ते चेहरा खुला रहे। क्यों लगाए जा रहे हैं ये प्रतिबंध?
इन देशों का कहना है कि चेहरा ढकने वाले कपड़े सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं, क्योंकि इनसे लोगों की पहचान मुश्किल होती है। साथ ही, ये देश अपनी राष्ट्रीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देना चाहते हैं। हालांकि, कुछ लोग इन प्रतिबंधों को व्यक्तिगत आजादी पर हमला मानते हैं। साउथ एशिया में बुर्का तो यूरोप में नकाब का चलन बुर्का एक तरह का घूंघट होता है, जिसे ज्यादातर अफगानिस्तान और दक्षिण एशिया की मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं। बुर्का कपड़े का एक सिंगल पीस होता है, जो पूरे शरीर को ढंकता है। इसमें चेहरे के पास आमतौर पर केवल एक पतली जाली होती है, जिससे महिला बाहर देख सकती है। वहीं यूरोप और खाड़ी देशों में बुर्का के बजाय नकाब ज्यादा चलन में है। नकाब भी एक तरह का घूंघट होता है, जो आम तौर पर चेहरे के निचले आधे हिस्से को ही ढंकता है और इसमें आंखों के आसपास की जगह खुली रहती है। वहीं सिर, कान और गले को ढंकने वाले स्कार्फ को हिजाब कहते हैं, इसमें चेहरा खुला रहता है। अधिकतर मुस्लिम देशों में इसका इस्तेमाल होता है। हिजाब का इतिहास हिजाब अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है एक ऐसे कपड़े से है जो महिलाओं को पर्दे में रखने के लिए होता है। इसे पर्दा या घूंघट से जोड़कर देखा जाता है। ईसा से ढाई हजार साल पहले की मूर्तियों में भी घूंघट की छाप दिखती है। मेसोपोटामिया, बीजान्टिन, ग्रीक और फारसी साम्राज्यों में अभिजात वर्ग की महिलाएं स्टेटस सिंबल के तौर पर घूंघट रखती थीं। मेसोपोटामिया और सीरिया में स्पष्ट रूप से कानून थे कि कौन सी महिलाएं घूंघट रखेंगी। दासियों और वेश्याओं को घूंघट करने की मनाही थी और ऐसा करने पर उन्हें कठोर दंड दिया जाता।

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